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डेल्टा प्लस वेरियंट् अभी सावधानी ही सुरक्षा है : डॉ विनय कुमार


शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर डेल्टा प्लस वैरिएंट के प्रसार को रोकने के उपायों को बढ़ाने का निर्देश दिया है. साथ ही केंद्र सरकार ने राज्यों से कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बढ़ाने के लिए भी कहा है. अब तक आठ राज्यों महाराष्ट्र, दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना में इस खतरनाक वैरिएंट के मामले मिले हैं।
अगर केस की बात करें तो अब तक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 20, तमिलनाडु में नौ, मध्य प्रदेश में 07, पंजाब में 02, गुजरात में 02, केरल में 03, आंध्र प्रदेश-ओडिशा-राजस्थान-जम्मू कश्मीर और कर्नाटक में भी एक-एक मरीज मिल चुका है।
डॉ. विनय कुमार कहते हैं, “दूसरी कोरोना लहर में अचानक से इतने केस आए कि सारा स्वास्थ्य ढांचा कॉलप्स हो गया. तो इससे ना सिर्फ मरीजों की जान जाती है बल्कि हेल्थ वर्कर का स्ट्रेस भी बढ़ जाता है. और जैसे डेल्टा प्लस वैरीअंट में सुनने को आ रहा है कि इसकी मार दूसरी लहर से भी ज्यादा खतरनाक होगी, और वैक्सीनेशन का भी इस पर ज्यादा असर नहीं होगा. तो इस स्थिति में तो हालत काफी भयानक होंगे. अभी तो आम आदमी को यही चाहिए कि वह कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन करें. साथ ही सरकार स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में काम करे. दूसरी लहर में हम चूक गए थे तो इस बार यह चूक नहीं होनी चाहिए.”

डॉक्टर विनय आगे कहते हैं, “हम देख रहे हैं कि आम आदमी फिर लापरवाह हो गया है. जैसे यहां बिहार में शादी समारोह में फिर लोगों की भीड़ आनी शुरू हो चुकी है. और हम इस बात को भले ही नजर नजरअंदाज करें लेकिन हमारे देश का हेल्थ सिस्टम बहुत कमजोर है. यह तो किसी से छुपा हुआ नहीं है. तो सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हेल्थ सिस्टम को सुधारे. भारत में तो अभी इसका ज्यादा प्रभाव नहीं है लेकिन दुनिया के कई देशों में यह पसार चुका है. तो संभावना है कि एक डेढ़ महीना में भारत में भी यह आ जाएगा.”
क्या इसकी रुकने की कोई संभावना है इस सवाल के जवाब में डॉक्टर विनय कहते हैं, “अभी तो कोई संभावना नहीं है. क्योंकि हम यह भी देख रहे हैं कि लोग कितनी लापरवाही कर रहे हैं. 1 साल हो गया लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग मास्क नहीं पहनते. और अभी सिर्फ 5 प्रतिशत लोगों को ही वैक्सीन लगी है. तो यह तो बहुत कम है ना. तो ऐसी स्थिति में तो रोक पाना मुश्किल है. और अभी तक इसका कोई प्रॉपर इलाज भी नहीं है. बाकी और कोविड में भी अभी तो सपोर्टिव इलाज ही करते हैं. ये डिपेंड करता है कि किसको कितना इफेक्ट किया. तो अभी तो लोगों का कोविड बिहेवियर और सरकार का हेल्थ सिस्टम को सुधारना इसी पर हम निर्भर करते हैं।

शुभम जोशी, जोधपुर राजस्थान।