कोरोना वायरस से 96 फीसदी समरूपता दिखाने वाले तीनों वायरस लाओस के चमगादड़ों से लिए गए नमूने में पाए गए। अब तक ज्ञात सभी वायरस में इन्हें कोरोना का सर्वाधिक निकटवर्ती बताया जा रहा है।वैज्ञानिक डेविड ने इन वायरस को काफी डरावना बताया है। भय की सबसे बड़ी वजह यह है कि नए वायरस मानव को संक्रमित करने में सक्षम हैं। ‘द नेचर’ जर्नल की खबर में वैज्ञानिकों के हवाले से कहा गया है कि नए वायरस में उसी तरह का रिसेप्टर बाइंडिंग डोमने पाया गया है।इस खोज से यह भी आशंका जताई जा रही है कि धरती पर बड़ी संख्या में कोरोना वायरस हो सकते हैं। पेरिस स्थित पाश्चर इंस्टीट्यूट के विषाणु वैज्ञानिक मार्क एलोइट ने अपने सहयोगियों के साथ लाओस स्थित एक गुफा से 645 चमगादड़ों के नमूने लिए।जिसमें कोरोना वायरस की उत्पत्ति को प्राकृतिक माना गया है। सिडनी यूनिवर्सिटी के विषाणु वैज्ञानिक एडवर्ड होम्स के मुताबिक जब हमने पहली बार कोरोना वायरस का जेनेटिक सिक्वेंस तैयार किया तो जो रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन मिला, वह हमारे लिए अनदेखा और नया था इससे कुछ लोगों ने यह कयास लगाना शुरू कर दिया कि वायरस की उत्पत्ति लैबोरेटरी में हुई है। चीन के चमगादड़ों में कोरोना वायरस से समरूपता दिखाने वाले वायरस नहीं मिले हैं। चीन के शोधकर्ताओं ने वर्ष 2016 से 2021 के बीच 13000 चमगादड़ों का परीक्षण करने के बाद यह दावा किया है। चीनी विशेषज्ञों के मुताबिक चीन में पाए जाने वाले चमगादड़ों में अपवाद या बहुत बिरले मामले में ही कोरोना जैसा वायरस मिल सकता है। चीन के युन्नान में अब तक मिले कोरोना वायरस कुल के अन्य वायरस के अध्ययन से साफ हो गया है कि दक्षिण एशिया कोरोना जैसे अन्य वायरस का हॉटस्पॉट है।
सतीश कुमार