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काबुल अटैक का बदला लेने को बाइडन फिर बदलेंग पॉलिसी

अमेरिका की रणनीति बार-बार बदलती रही है, मगर काबुल में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर से अमेरिका को 31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ने की रणनीति पर विचार करने को मजबूर कर दिया है। काबुल एयरपोर्ट पर हुए सीरियल ब्लास्ट में अमेरिका के 13 जवानों की मौत हो गई है और कई घायल हो गए हैं। काबुल हमले पर पहली प्रतिक्रिया में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिस लहजे में आतंकवादियों को चेताया है। काबुल में हुए हमलों के लिए इस्लामी चरमपंथियों को जिम्मेदार ठहराया और हमले में मारे गए लागों की जान का बदला लेने का संकल्प लेते हुए कहा, ‘हम तुम्हें (हमलावरों को) पकड़कर इसकी सजा देंगे। व्हाइट हाउस में जो बाइडन ने कहा; इस हमले को अंजाम देने वाले और अमेरिका को नुकसान पहुंचाने की मंशा रखने वाले ध्यान रखें कि हम तुम्हें बख्शेंगे नहीं। हम यह न भूलेंगे और न ही तुम्हें माफ करेंगे। हम तुम्हें ढूंढकर इसकी सजा देंगे, तुम्हें इसका अंजाम भुगतना ही होगा। ऐसे में एक बार फिर से इस बात की चर्चा होने लगी है कि क्या 31 अगस्त तक सच में अमेरिका अफगानिस्तान से अपना बोरिया-बिस्तर समेट लेगा या फिर काबुल हमले में शहीद हुए अपने जवानों का बदला लेने के लिए एक बार फिर समय सीमा को बढ़ाएगा। तब तक वह इतनी आसानी से काबुल को छोड़ने वाला नहीं है। ताजा हालात से ऐसा लगता है कि आतंकियों ने हमला करके अफगान छोड़ रहे अमेरिका को काबुल में रुकने का एक बहाना दे दिया है। अफगानिस्तान से निकलने की मियाद खत्म होने में अब महज चार दिन बचे हैं, जबकि अमेरिका के अभी हजारों नागरिक काबुल में फंसे हुए हैं।

सतीश कुमार (ऑपेरशन हेड, साउथ इंडिया)