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हॉट स्प्रिंग्स पर ड्रैगन का अड़ियल रवैया होगा खत्म भारत के चोपर हुए अलर्ट।

सीमा विवाद पर भारत और चीन दोनों देश एक बार फिर से बातचीत के जरिए मसले को सुलझाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। 13वें दौर की वार्ता फेल होने के बाद एक बार फिर से भारत और चीन बैठक करने को राजी हुए हैं। भारत और चीन 10 अक्टूबर को 13वें दौर की वरिष्ठ कमांडरों की बैठक से उत्पन्न गतिरोध को हल करने के लिए इसी महीने सीमा मामलों पर वर्किंग मेकैनिज्म फॉर कंसल्टिंग एंड कोऑर्डिनेशन की एक और बैठक आयोजित करने पर सहमत हुए हैं।डब्लूएमसीसी को डेपसांग बुलगे और चार्डिंग नाला जंक्शन सीएनजे, डेमचोक में भारतीय सेना के लिए गश्त के अधिकार को बहाल करने और डिसइंगेजमेंट करने में काफी मशक्कत करनी होगी। बैठक के दौरान हॉट स्प्रिंग्स के मसले को सुलझाने पर फोकस होगा।मगर यह विफल रहा था। माना जाता है कि सैन्य कमांडरों की 13वें दौर की बैठक के दौरान चीनी सेना यानी पीएलए ने हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में विघटन को हल करने के लिए अर्ध-उपायों का सहारा लिया और स्थायी ठिकानों पर वापस जाने या अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल करने से इनकार कर दिया। बता दें कि मई 2020 में पीएलए ने भारी संख्या में सैनिकों का उपयोग करते हुए लद्दाख में 1597 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ अस्वीकृत 1959 लाइन को लागू करने के लिए पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो, गलवान, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स, जबकि चीन का कहना था कि भारत को बड़ी मुश्किल से हासिल की गई मौजूदा स्थिति को संजो कर रखना चाहिए। फरवरी में दोनों पक्षों ने पैंगोंग सो झील के पास से कुछ इलाकों से अपनी अपनी सेनाओं को पीछे ले लेने का निर्णय लिया था। फरवरी में दोनों पक्षों ने पैंगोंग सो झील के पास से कुछ इलाकों से अपनी अपनी सेनाओं को पीछे ले लेने का निर्णय लिया था।यह पहली बार है जब इस तरह के अलग अलग और एक दूसरे पर आरोप लगाने वाले बयान जारी किए गए हैं। पीपी 15 पर एलएसी के पार भारत के इलाके के अंदर अभी भी चीनी सेना की एक टुकड़ी तैनात है। भारत का दावा है कि चीन भारत को उत्तर में स्थित डेपसांग तराई में अपने ही पांच पैट्रोलिंग बिंदुओं तक नहीं पहुंचने दे रहा है। 

सतीश कुमार