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तालिबान के सत्ता में आने से कहीं लोग खुशी तो कहीं गम का माहौल

भारत और चीन के लिए कैसी है ये खबर, चीनी सरकार अब तक अफगान सरकार के पतन और देश में तालिबान कब्जे पर सहज दिखाई दे रही है. चीन के विदेशी मामलों की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बीते सोमवार को कहा, अफगानिस्तान में चीनी दूतावास सामान्य रूप से काम कर रहा है और उसके राजदूत और दूतावास के कर्मचारी अपने पदों पर बने रहेंगे साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट अखबार ने बताया कि अफगानिस्तान में रहने वाले ज्यादातर चीनी नागरिक पहले ही लौट आए थे। स्थापित संबंधों पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि तालिबान ने चीन के साथ बेहतर संबंध बनाए रखने की इच्छा व्यक्त की है। तालिबान को उम्मीद है कि चीन अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास प्रक्रिया में भाग लेगा. साथ ही तालिबान ने कहा है कि वह किसी भी ताकत को चीन को नुकसान पहुंचाने के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगा। हम तालिबान की इस इच्छा का स्वागत करते हैं। उईगुर चरमपंथियों के प्रति तालिबान का अस्पष्ट रवैया चीन और अफगानिस्तान में बनने वाली सरकार के बीच तनाव पैदा कर सकता है। चीन इन उईगुर चरमपंथियों को कई घातक हमलों के लिए दोषी मानता है। स्मॉल कहते हैं सवाल यह है कि क्या यह तालिबान अभी भी वही तालिबान है जो 20 साल पहले सरकार में था। इस समूह के चरमपंथी और आतंकवादी समूहों के साथ इतने गहरे और जटिल संबंध हैं कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि चीन को कितना चिंतित होना चाहिए।

सतीश कुमार (ऑपरेशन हेड, साउथ इंडिया)