पर्यावरण कार्यकर्ता बहुगुणा ने अपना जीवन जंगलों और हिमालय के पहाड़ों के विनाश के विरोध में ग्रामीणों को समझाने और शिक्षित करने में बिताया।
चिपको आंदोलन के अग्रणी सुंदरलाल बहुगुणा का कई दिनों तक कोविड -19 से जूझने के बाद शुक्रवार को ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। एम्स के निदेशक रविकांत ने कहा कि उन्होंने दोपहर 12.05 बजे अंतिम सांस ली।
पर्यावरण-कार्यकर्ता बहुगुणा ने अपना जीवन जंगलों और हिमालयी पहाड़ों के विनाश के विरोध में ग्रामीणों को समझाने और शिक्षित करने में बिताया। यह उनका प्रयास था कि तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने पेड़ काटने पर प्रतिबंध लगा दिया।
मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ट्वीट किया, “श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का निधन हमारे देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के हमारे सदियों पुराने लोकाचार को प्रकट किया। उनकी सादगी और करुणा की भावना को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। मेरे विचार उनके परिवार और कई प्रशंसकों के साथ हैं। शांति।”
- शिवानी गुप्ता