भारत में महंगाई से लोगों के जेब पर बन आई है और राहत के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।मुंबई के एक बाहरी इलाके में अपने घर के पास वाले छोटे से बाजार से सब्जी खरीद रहीं शुभांगी पाटिल चीजों के दाम सुनकर हैरान हैं। तेल और चीनी से लेकर अब प्याज तक रोजमर्रा की जरूरत की तमाम चीजों की कीमतें आसमान पर है। भारत में प्याज राजनीतिक रूप से संवेदनशील चीज रहा है।प्याज का बोझ ईंधन और खाने के तेल की कीमतों के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद पाटिल जैसे आम भारतीयों के लिए प्याज का बोझ जेब की जान ले रहा है. हाल ही में भारत के अलग-अलग हिस्सों में हुई भारी बारिश ने न सिर्फ गर्मी की फसल को नुकसान पहुंचाया है बल्कि सर्दी की फसल की बुआई में भी देर करवा दी है।मुंबई से करीब 325 किलोमीटर दूर धुले जिले के किसान समधन बागुल कहते हैं, सितंबर में बहुत बारिश हुई तो बीमारी का हमला हुआ और फसल कम हो गई। एक एकड़ से पांच टन तक फसल लेने वाले बागुल इस साल एक टन फसल की ही उम्मीद कर रहे हैं।महाराष्ट्र के लजलगांव में प्याज की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर एक महीने में 33,400 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई. नतीजा यह हुआ कि मुंबई के बाजारों में प्यार 50 रुपये किलो से भी ज्यादा में मिल रहा है. निर्यात का संकट विशेषज्ञों का अनुमान है कि त्योहार के मौजूदा दिनों में तो प्याज की कीमतें कम नहीं होने वाली है ।व्यापारियों का कहना है कि भारत में बढ़ती कीमतों का असर बांग्लादेश, नेपाल, मलयेशिया और श्रीलंका आदि में भी पड़ेगा. भारत में बढ़ती कीमतों का नुकसान निर्यातकों को भी हो रहा है।तब सरकार ने कुछ महीनो के लिए निर्यात पर रोक लगा दी थी. इससे श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे उसके पड़ोसियों को किल्लत भी झेलनी पड़ी थी। इस साल भी ऐसा ही कदम उठाया जा सकता है।
सतीश कुमार