सूरत के हीरा ब्यापारी धनेश संघविं की 8 बर्ष की बेटी देवांशी संघविं ने दीक्षा लेकर साध्वी बन गयी है। जहाँ भारत के अधिकांश युवा पश्चिमी संस्कृति को अपनाने में लगे है वही कुछ बच्चे पहले अपनी पुरानी संस्कृति और धरोहरों को बचाने में लगे हैं। गुजरात के एक हीरा व्यापारी की 8 बर्षीय पुत्री दीक्षा लेकर साध्वी बन गयी हैं।
करोड़पति व्यापारी की बेटी ने मोह माया से दूर जाकर अध्यात्म का रास्ता चुना है और संसार के जीवन से संपूर्ण त्याग कर संयास लिया है।
हम आपको बता दे देवांशी संघविं दीक्षा लेकर साध्वी दिगंतप्रज्ञाश्री बन गयी हैं। देवांशी के दीक्षा समारोह मे पूरे 35 हजार लोग साक्षी बने है। सूरत के वसु इलाके में देवांशी की दीक्षा समारोह हुआ।
देवांशी ने दीक्षा लेकर साध्वी दिगंत प्रज्ञाश्री बन गयी है। उन्होंने कृतियाश सूरी महाराज के सनिद्धय मे अपनी गुरु साध्वी पिस्मिता श्रीजी से दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा लेने के बाद साध्वी प्रिस्मिता ने देवांशी को श्रीदिगंतप्रज्ञा श्रीजी नाम दिया है।
धनेश संघविं ने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही अध्यात्म से जुड़ी हुई है, इसीलिए उन्होंने अपने बड़ी बेटी को साध्वी बनाने का निर्णय लिया था। जब देवांशी का संघविं दीक्षा समारोह चल रहा था तब हजारो लोग इसके साक्षी बने रहे। सारे लोगों के सामने देवांशी ने संसारिक जीवन छोड़कर संयास का मार्ग चुन लिया है दुनिया की मोह माया से दूर जाकर भगवान के श्रीचरणो मे अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया है।
रिपोर्ट – वंशिका सिंह