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सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल से धूमिल होते वास्तविक मुद्दे

भारत ने हमेशा दूसरों की मदद करना सीखा है । कोई देश चाहे वो दुश्मन हो या दोस्त अगर मुश्किल में है तो भारत मदद का हाथ आगे करने से पीछे कभी नहीं हटा । इजराइल और फिलिस्तान के बीच जंग का आगाज़ सा हो चुका है। फिलिस्तान आंख दिखाता है तो इजराइल भी मुंह तोड़ जवाब दे रहा है। यहूदियों और मुस्लिमो के बीच की इस लड़ाई में इंसानियत बेबस हो चुकी है। ये लड़ाई वाकई दो समुदायों के बीच है या फिर किसी तीसरी बड़ी ताकत की शरारत ये भी जांच का विषय है । लेकिन जब हमारा देश मौत के मुहाने पर खड़ा है तब हम इस जंग में हाथ बढ़ाना तो दूर खुद ही लड़ने पर उतारू हो गए हैं? रॉकेट मिसाइल वहां दागे जा रहे हैं लेकिन जंग भारत के सोशल मीडिया पर छिड़ गई है। हमारे देश में जब भी कुछ गलत होता है और उसके लिए बाहरी आवाजें उठना शुरू हो जाती है ..लेकिन कोई अपने ही देश में अपनों से ही नहीं लड़ने लग जाता। खैर हमारे देश में तो हिदू मुस्लिम का ऐसा बीज बोया गया है की ये हर बार एक नया कांटेदार पौधा बन कर उग जाता है । इस बार भी फिलिस्तान और इजराइल की इस लड़ाई में हम कूद गए और सोशल मीडिया के जरिया शुरू कर दिया आग मे घी डालने का काम । इस सोशल मीडिया की आग लगाने वाली आर्मी में तो 90 प्रतिशत को इन दोनो देशों की कहानी तक पता भी नही होगी । फिर भी इन्हे बस तलवारे तैयार रखनी है और नफरती गैंग को आगे बढ़ाना है। यहां हमारे देश में ऑक्सीजन नहीं है , अस्पताल में असुविधाओं का बोल बाला है , अनर्गल बयानों की भरमार है … हम तब भी सवाल और सुधार करने की बजाए लग गए एक नई जंग का आगाज़ करने । सच का साथ देना भी जरूरी है और गलत पर आवाज उठाना भी पर जो तरीका फिलहाल आवाज उठाने का अपनाया जा रहा है वो गलत है । ये आवाज नहीं शोर है , इस शोर से हम ही खुद मदद के लिए कराह रहे अपने लोगों की आवाज नही सुन पा रहे । हमे फिलहाल महामारी से लड़ना है , जिसके साथ गलत हो रहा है उसके लिए लड़ना है , लेकिन हम अपनों से नहीं लड़ना । कोई आपको आंख दिखाए तो आपको मुंह तोड़ जवाब नही देना है , ये वक्त हाथ बढ़ाने का है ना कि हाथ उठाने का । बंद कर दो किसी भी जलते हुए देशों की आग से दिवाली मनाना , और बंद करदो अपने ही देश को इस आग में झोंकना । ना वो जो हो रहा है वहां वो सही है , और ना ये जो हो रहा है यहां वो सही है ।

मेघना सचदेवा