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पूर्व राष्ट्रपति ने भारतीय क्षेत्र को बताया नेपाल का अटूट अंग

काठमांडो: सङ्घीय लोकतान्त्रिक गणराज्य नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने भारत गणराज्य के उत्तराखंड राज्य में आने वाले स्थानों कालापानी, लिपुलेख तथा लिंपियाधुरा को नेपाल का अटूट हिस्सा बताया है। उन्होंने कहा कि इसे लेकर नेपाल को भारत के संग सीमा विवादों को कूटनीतिक ढंग से सुलझाया जाना चाहिए।

नेपाल ने अपने नए मानचित्र में इन तीनों इलाकों को अविभाजित इलाकों के तौर पर सम्मलित किया था। यही बात विद्या देवी भंडारी ने लेखक अच्युत गौतम व सुरेंद्र केसी की किताब ‘नेपाली टेरिटरी लिम्पियाधुरा’ के विमोचन पर शनिवार को कही। उन्होंने इस वर्ष मार्च में अपना राष्ट्रपति पद छोड़ दिया था। उन्होंने कहा कि नेपाल के राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा हेतु मित्र देशों से परिवर्तन की उम्मीद स्वाभाविक है।

नेपाल की पूर्व राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी

आपको बता दें कि नेपाल समय-समय पर इन तीनों इलाकों को अपने हिमालयी क्षेत्र का अंग बताते हुए इस मामले को उठाता आया है। इसके पूर्व नेपाल की राजधानी काठमांडो में भारत के दूतावास ने कहा था कि नेपाल के साथ लगती सीमा के मुद्दे पर भारत की स्थिति सर्वविदित, सुसंगत और स्पष्ट है। इसकी सूचना नेपाली सरकार को दे दी गई है।

नेपाल में भारत का दूतावास

आख़िर क्या है भारत-नेपाल के बीच का सीमा विवाद?

नेपाल भारत की तीनों दिशाएं पूरब, पश्चिम और दक्षिण की तरफ़ से घिरा हुआ है। नेपाल कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना अंग मानता है। उनका कहना है कि भारत ने इन क्षेत्रों पर जबरन अधिकार जमाया हुआ है। लिपुलेख दर्रा कालापानी के निकट एक सुदूर पश्चिमी बिंदु पर मौजूद है। यही सीमावर्ती इलाका नेपाल तथा भारत के मध्य विवाद का कारण है।

आपको बता दें कि दोनों ही देश इन क्षेत्रों को अपने अटूट अंग के रूप में मानते हैं। जहां भारत उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले के अंग के रूप में और वहीं नेपाल धारचूला जिले के अंग के रूप में इन तीनों क्षेत्रों पर अपना दावा करते हैं।

कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा

भारत और नेपाल के मध्य रिश्ते हो गए थे खराब

भारत ने जब उत्तराखंड राज्य में लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाली 80 किलोमीटर लंबी रणनितिक रूप से आवश्यक सड़क 8 मई 2020 में खोले जाने के पश्चात् ही दोनों देशों के रिश्ते तनाव से भर गए थे। उस समय नेपाल ने सड़क के उद्घाटन का विरोध करते हुए यह दावा किया कि यह सड़क उसके इलाके से होकर गुजरती है।

कुछ दिनों के पश्चात् ही नेपाल ने लिपुलेख, कालापानी व लिम्पियाधुरा को अपने इलाके के तौर पर दिखाते हुए एक नया मानचित्र निकाला था। वहीं भारत ने इस कदम में कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट की थी।

नेपाल का नया विवादित मानचित्र

अमन ठाकुर – हिमाचल प्रदेश