• Fri. Apr 19th, 2024

आमजन की समस्याओं से बेफिक्र नेताओं की वाचालता और हकीकत से दूर अनर्गल बयानबाजी

हम जो कुछ सालों पहले कहते थे कि हमारा पीएम कुछ बोलता नहीं है आज हम ही हुक्मरानों के बोलने से परेशान हैं , वो बोलते रहे हम ये करेंगे वो करेंगे और बोलते बोलते हमे ही चुप करा दिया है ताकि अब कोई ये ना बोल सके की हमारा पीएम बोलता बहुत है। जनाब पीएम के किस्से तो अब आम है , लेकिन अब तो लगता है सीएम का भी यही काम है …. मंच पर मित्रों और रेडियो पर मन की बात तो आपने सुना ही होगा लेकिन उत्तराखंड के एक्स सीएम और प्रेजेंट सीएम में बोलने का ना जाने कौनसा सा मुकाबला चला है । जो सीएम हैं वो कहते हैं मां गंगा की कृपा से corona नहीं फैलेगा , जो सीएम थे वो कहते हैं corona भी एक प्राणी है उसे जीने का अधिकार है । एक तरफ उस गंगा मां की कृपा की बात की जा रही है जिसमे अब लाशे तैर रही हैं वो भी corona मरीजों की , और फिर corona को प्राणी बताने वाले उन लोगों की बात क्यों नहीं कर रहे जिनसे स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में जीने का अधिकार भी छिन गया । उत्तराखंड में corona के आंकड़े कैसे बढ़े है ये किसी से छुपा नहीं लेकिन तीरथ सिंह रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत corona वायरस पर अपनी ही रिसर्च करके बैठे हैं , हो सके तो WHO को इसने एक बार इनसे सलाह जरूर लेनी चाहिए । Corona की तीसरी लहर आने से पहले ये दोनो साहब की राय ही बता सकती है कि नए वेरिएंट को खत्म करने के लिए मां गंगा में नहलाया जाए , या वो अभी कुछ दिन जीना चाहता है तो उसके लिए अलग से पहाड़ों में एक कुटिया बनवा दी जाए । आरोप प्रत्यारोप तो राजनीति में कोई नए नहीं है पर यहां तो कुर्सी की लड़ाई अब corona क्विज के competion जैसी हो गई है । इस महामारी के दौर में लोग एक एक सांस का इंतजाम कर जिंदगी संभाल रहे हैं लेकिन यहां किसी से अपने शब्द नहीं संभल रहे । उत्तराखंड में सीएम का बदलाव हुआ। राजनीतिक अस्थिरता को खत्म करने के लिए ऐसा हुआ । लेकिन अब जो इन हालातों में भी विवादित बयानों का सिलसिला चल रहा है वो आखिर कब खत्म होगा । इस मानसिकता में आखिर कब बदलाव आएगा । कब आखिर ये बड़े बोल वाले नेता बोलना बंद करेंगे और कुछ काम करना शुरू करेंगे । जो दार्शनिक बात पूर्व सीएम ने कही अगर वही दर्शनिकता वो सीएम रहते हुए उत्तराखंड के प्राणियों के लिए दिखाते तो ना उन्हें मुंह खोलना पढ़ता और शायद ना ही कुर्सी से हाथ धोना पड़ता।

मेघना सचदेवा