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राजस्थान: आखातीज पर बाल विवाह रोकने के लिए गहलोत का यह धांसू प्लान

प्रदेश सरकार ने आखातीज और उसके आसपास होने वाले विवाह समारोह में बाल विवाह को रोकने के लिए अनूठा प्लान तैयार किया है जिसके तहत विवाह समारोह के लिये छपने वाले निमंत्रण-पत्रों पर वर-वधु की जन्म तारीख प्रिंट किये जाने के निर्देश दिए गये हैं इसके अलावा वर-वधु के आयु का प्रमाण-पत्र प्रिटिंग प्रेस वालों के पास भी रहेगा

राज्य के गृह विभाग के ग्रुप-13 ने इसके आदेश जारी किए हैं. सभी जिला कलक्टर-एसपी को जारी आदेश में कहा गया है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम- 2006 के अनुसार बाल विवाह अपराध है इस वर्ष अक्षय-तृतीया (आखातीज) का पर्व 14 मई को पड़ रहा है और इसके उपरान्त पीपल पूर्णिमा 26 मई का पर्व भी आने वाला है. इन दिनों तथा अबूझ सावों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाहों के आयोजन की संभावनाएं रहती हैं जिनको रोकने के लिए गहलोत सरकार काफी एक्टिव दिखाई दी रही है।

क्या है आदेशों में पढ़िए –
आदेशों में लिखा है कि बाल विवाह के प्रभावी रोकथाम के लिए कड़े कदम उठायें जायें, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार करें. जनप्रतनिधियों के माध्यम से आमजन को जानकारी कराते हुए जन जागृति बढ़ायें और बाल विवाह रोके जाने के लिए कार्रवाई करें.

बाल विवाह रोकने पर इनकी रहेगी पूरी जिम्मेदारी
बाल विवाह के प्रभावी रोकथाम के लिए ग्राम और तहसील स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों/अधिकारियों तथा जन प्रतिनिधियों की अहम् भूमिका रहेगी. इनमें उपखंड अधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक, थानाधिकारी, पटवारी, भू-अभिलेख निरीक्षक, ग्राम पंचायत सदस्य, ग्रामसेवक, कृषि पयवेक्षक, महिला एवं बाल विकास के परियोजना अधिकारी, पर्यवेक्षक, आगंनबाडी कार्यकर्ता, शिक्षक, नगर निकाय के कर्मचारी, जिला परिषद एवं पंचायत समिति सदस्य तथा सरपंच और वार्ड पंच के माध्यम से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम के प्रावधानों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा. चूंकि से सभी अधिकारी और कर्मचारी फील्ड में रहते हैं लिहाजा उनके पास ग्रासरुट की जानकारियां ज्यादा रहती है. आखातीज और पीपल पूर्णिमा पर इन पर बाल विवाह से संबंधित ज्यादा जानकारी जुटाने के जिम्मेदारी रहेगी.

हलवाई से लेकर बैण्डवाजा वालों तक से माँगा जाएगा जवाब

गृह विभाग के आदेश के अनुसार ऐसे व्यक्ति और समुदाय जो विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी होते हैं यथा हलवाई, बैण्डवाजा, पंडित, बाराती, टैंटवाले, ट्रांसपोर्टर आदि बाल विवाह में सहयोग ना करें. बाल विवाह में सहयोग करने पर इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जायेगी। राजस्थान में आखातीज पर ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में चोरी छिपे बाल विवाह होते हैं. प्रशासन ने बहुत बार ऐसे विवाहों को रुकवाया भी है. तमाम प्रचार प्रसार और कानूनी प्रावधानों के बावजूद लोग बाल विवाह कराने से चूकते नहीं हैं. ऐसे में प्रतिवर्ष राज्य सरकार इनकी रोकथाम के लिये अलग से प्रयास करती है.

-निरंजन चौधरी, जयपुर।