मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नीति आयोग के कार्य करने के तरीके पर नाराजगी जताते हुए कहा है।जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था पर नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि इस रिपोर्ट पर बिहार सरकार अपना जवाब भेजेगी कि यह उपयुक्त नहीं है। नीति आयोग की अगली बैठक में अगर हमें जाने का मौका मिला तो एक-एक बात हम फिर से उनके सामने रखेंगे। एसेसमेंट करने से पहले बुनियादी चीजों की जानकारी होनी चाहिए। जो विकसित राज्य हैं और जो पिछड़े हैं, इन्हें अलग-अलग करके देखा जाना चाहिए। इससे पिछड़े राज्यों को आगे लाने में सहूलियत होगी। उन्होंने कहा कि बिहार आबादी के हिसाब से देश में तीसरे नंबर पर है।इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान काफी बेहतर ढंग से काम कर रहा है। पटना में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) लिए बिहार सरकार ने जमीन की व्यवस्था की ताकि जितना जल्दी हो वहां का काम शुरू हो सके। पटना में एम्स भी ठीक ढ़ंग से चल रहा है। अस्पतालों में बेडों की संख्या भी काफी बढ़ाई गयी है। उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि और कम समय में यह पूरा हो और उसके लिये प्रयास किया जा रहा है।स्वास्थ्य के क्षेत्र मे पहले बिहार की क्या स्थिति थी, ये सभी को पता है। बिहार को लेकर एक रिपोर्ट भी पहले हमने पढ़ी थी कि बिहार के गरीब परिवारों को भोजन से ज्यादा इलाज पर खर्च करना पड़ता है। पहले बिहार में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। बिहार के सरकारी अस्पतालों में काफी कम लोग इलाज कराने जाते थे।उनकी सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ-साथ दवा की मुफ्त व्यवस्था उपलब्ध करायी। इसके कारण अब पीएचसी में एक महीने में औसतन 1० हजार मरीजों का इलाज होता है। आज के दिन महाराष्ट्र से बिहार की तुलना नहीं की जा सकती है। सबसे धनी राज्य की तुलना सबसे गरीब राज्य से नहीं हो सकती है।
सतीश कुमार