भारत की कुल बिजली जरूरतों में से 70 प्रतिशत के लिए कोयले पर निर्भर है और 2030 तक 50 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होगा। ऐसे में कोयला अगले पांच दशक तक भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करता रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सोमवार को की गई घोषणा के बाद विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। कोयला अगले पांच दशकों तक भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना जारी रखेगा और 2040 के दशक में यह चरम पर होगा। इसलिए हमें कोयला खदानों और बुनियादी ढांचे में निवेश जारी रखने की जरूरत है। अन्यथा हमें इस साल अक्टूबर में जिस तरीके से ईंधन संकट का सामना करना पड़ा है।वर्ष 2030 तक भारत की कोयला आधारित बिजली घरों की क्षमता मौजूदा 2,10,000 मेगावॉट से बढ़कर 2,67,000 मेगावॉट पहुंच जाने का अनुमान है। साथ ही पुरानी क्षमताओं को हटाया भी जाएगा। कोल इंडिया के पूर्व चेयरमैन पार्थ सारथी भट्टाचार्य ने कहा कि कोयला अभी बना रहेगा और शुरू में वास्तव में मात्रा बढ़ानी होगी।
सतीश कुमार