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दिवाली एक खुशियो का पर्व हैं जिसमे भारत के निवासी अपने अपने प्रांत समान मनाते हैं , आइए जाने छोटी और बढ़ी दिवाली का अंतर ।

भारत मे दिवाली एक महा उत्सव सा माना जाता है, दिवाली उत्सव आमतौर पर पांच दिनों का होता है। उत्सव की शुरुआत धनतेरस कार्तिक महीने में चंद्र पखवाड़े के घटते चरण के तेरहवें दिन से होती है। इस दिन को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, अन्य क्षेत्रों में, त्योहार एक दिन पहले गोवत्स पूजा के साथ शुरू होता है, यानी द्वादशी तिथि (कार्तिक महीने में चंद्र पखवाड़े के बारहवें दिन कहा जाता हैं । अंत में, चौदहवें दिन (चतुर्दशी तिथि), लोग नरक चतुर्दशी मनाते हैं जिसे छोटी दिवाली के नाम से जाना जाता हैछोटी दिवाली और बड़ी दिवाली में क्या अंतर है। छोटी दिवाली के दिन राक्षस नरकासुर का वध हुआ था, जिसके बाद से ही छोटी दिवाली के दिन नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाने लगा। माना जाता है कि नरकासुर के वध के बाद उत्सव मनाते हुए लोगों ने दीये जलाए थे तब ही से दीपावली से पहले छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी मनाई जाने लगी।नरकासुर भूदेवी और भगवान वराह का पुत्र था। वह जानता था कि भगवान ब्रह्मा के वरदान के अनुसार उसकी मां भूदेवी के अलावा और कोई उसे मार नहीं सकता। इसलिए, वह संतुष्ट हो गया। एक बार उन्होंने भगवान कृष्ण पर हमला किया और बाद की पत्नी, सत्यभामा, भूदेवी के एक अवतार, ने बहुत जोश और साहस के साथ प्रतिशोध लिया। अपनी अंतिम सांस लेने से पहले, नरकासुर ने भूदेवी (सत्यभामा) से विनती की, उनसे आशीर्वाद मांगा, और वरदान की कामना की। वह लोगों की याद में जिंदा रहना चाहते थे। इसलिए नरक चतुर्दशी को मिट्टी के दीये जलाकर और अभ्यंग स्नान करके मनाया जाता है।इस दिन को बुराई, नकारात्मकता, आलस्य और पाप से छुटकारा पाने के लिए मनाते हैं। यह हर उस चीज से मुक्ति का प्रतीक है जो हानिकारक है और जो हमें सही रास्ते पर चलने से रोकती है।देवी काली ने नरकासुर का वध किया और उस पर विजय प्राप्त की। इसलिए कुछ लोग इस दिन को काली चौदस कहते हैं।

आइए जाने बढ़ी दिवाली मनाने का कारण – उत्तर भारत में रामायण के अनुसार जब प्रभु़ श्रीराम ने रावण को युद्ध में हराया। उसके बाद लक्ष्मण व सीता सहित लगभग 14 वर्ष बाद कार्तिक अमावस्या को अयोध्या वापस लौटे थे, इसलिए इस दिन दीपक और आतिशबाजी के साथ उनका स्वागत किया गया। दक्षिण भारत की कहानियों के अनुसार यहां पर दिवाली के दिन यहां के राजा बालि की मृत्यु हुई थी। इसलिए यहां दिवाली पर कोई रौनक नहीं होती। इसके अलावा दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में दिवाली श्रीराम की वापसी का दिन नहीं बल्कि इस दिन श्रीकृष्ण ने नारकासुर का वध किया था। इस कारण दिवाली मनाई जाती है।

सतीश कुमार