भारतीय योग पध्दति सिर्फ भारत मे ही नही अपितु विदेशो में भी लोकप्रिय हो रही है। एक तरफ जहां भारत के लोग अपनी परम्पराओं और जीवन मूल्यों को छोड़ कर पश्चिमी सभ्यता अपना रहे है वही विदेशों के काफी लोग भारतीय जीवन दर्शन को काफी सहज और सरल मान कर इसका अनुशरण कर रहे है। योग को लेकर भारत मे जितना क्रेज है उससे कहीं अधिक यह विदेशो में अपनाया जा रहा है। आज ज्यादातर भारतीय लोग सिर्फ आसन और प्राणायाम करने तक को और उससे ठीक होने वाले रोगों तक को ही योग समझ बैठे है जबकि योग स्वास्थ्य ठीक करने, रोगोपचार एवम कुछ मुद्राओं से बहुत अधिक उत्कृष्ट है और यह एक पूरी जीवन जीने की पध्दति है। आज ज्यादातर योग अध्यापक योग की कुछ मुद्राओं और आसनों का एक समूह बना कर उसे अलग नाम देकर लोगो को बरगला कर अपना उल्लू सीधा कर रहे है जबकि वह या तो स्वयं समग्र योग पध्दति को जानते नही है या फिर वह शिक्षित नही करना चाहते। आज जिधर देखो उधर योग सर्टिफिकेट लेकर घूमते अध्यापको और विद्यार्थियों की बाढ़ आई हुई है जो एक साल या 6 महीने के कोर्स के सर्टिफिकेट लेकर योग शिक्षक बने घूम रहे है लेकिन आसन और प्राणायाम से अधिक उनके पास कुछ नही है और बस वह भी भीड़ में बहकर अपनी दुकानदारी चलाने में लगे हुए है, वही दूसरी ओर ऐसे भी साधक है जो गहन योग का अध्ययन करने में रुचि रखते है और प्राणायाम आसन आदि से ऊपर उठकर योग को जानने की चेष्टा करते है।
ऐसे ही योग जिज्ञासुओं में एक नाम है एमेलिया जर्मन। एमेलिया वर्तमान में ओमान में रह कर लोगो को योग के बारे में अवगत करवा रही है। 37 वर्षीय एमेलिया का जन्म ब्रिटेन में हुआ था और वह पिछले 3 वर्षों से ओमान में रह रहीं है। घूमने की शौकीन एमेलिया को योग में रुचि 21 वर्ष की आयु में हुई। उन्होंने स्वयं ही विभिन्न माध्यमो से योग का अभ्यास किया। वह योग सीखने कभी भारत नही आई उसके बावजूद वह योग के लगभग सभी अध्याय गहनता से सीख चुकी है। लगभग 16 वर्षो से स्वयं लगातार अभ्यास कर रही है। आज उनका स्वास-प्रस्वास पर पूरा नियंत्रण है। उनका कहना है कि योग व्यक्ति के शरीर पर तुरन्त असर करके दिमाग को रिलैक्स करता है। इसी फायदे को देखते हुए उन्होंने अपनी पहली क्लास से असरदार महसूस करके के बाद योग के अभ्यास को जारी रखा है। एमेलिया ने 2016 तक सम्पूर्ण योग का अभ्यास समाप्त करने के उपरांत योग शिक्षक के रूप में अन्य लोगो को योग प्रशिक्षण देना आरम्भ किया। अब वह हठ योग और विन्यास आदि का भी लोगो को प्रशिक्षण दे रही है। योग के प्रति एमेलिया इस कदर दीवानी हो चुकी है कि उन्होंने विवाह तक नही किया। ट्रेवलिंग आदि के बारे में पूछने पर बताया कि वह दुनिया के काफी लोगो से जुड़ी हुई है और लोग इन सब मे उसकी मदद करते है।
हो सकता है कुछ लोगो को यह सिर्फ एक जीवनी लगे लेकिन इसके अंदर एक बहुत गहरा सन्देश निहित है जो व्यक्ति अपनी मूल परम्पराओं को छोड़ कर पश्चिमी सभ्यता की अंधी दौड़ में भागे जा रहे है उन्हें यह समझना चाहिए कि अंधी दौड़ से जीवन मे व्यक्ति ऐशो आराम के साधन तो जुटा सकते है लेकिन संयम, मर्यादा, आत्मोन्नति, दया, त्याग, मानसिक शांति सिर्फ भारतीय दर्शन से ही मिल सकती है। तो आइए हम सभी मिलकर भारतीय दर्शन को आगे बढ़ाएं।